*कई लोगों में भ्रम रहता है कि कालसर्प और नागदोष एक ही हैं। लेकिन यह सत्य नहीं है। कालसर्प दोष अधिकांशतः वंशानुगत होता है जबकि नाग दोष का प्रभाव जातक की मृत्यु के बाद भी प्रभावकारी रहता है।* *इसके अलावा अन्य सात ग्रहों के राहु केतु के मध्य होने पर कालसर्प दोष बनता है वहीं दूसरी ओर पहले, दूसरे,पांचवें, सातवें और आठवें घर में राहु-केतु के प्रवेश पर नाग दोष जन्म लेता है।* *जैसे की किसी कुंडली में राहु अथवा केतु कुंडली के पहले घर में,…
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