(पं रमेश पांडेय) बृहस्पति के पास तीन दृष्टियां होती हैं।इनके पास पंचम, सप्तम और नवम दृष्टि होती है, यानी कि गुरु जिस भाव में बैठते हैं उस भाव से पंचम, सप्तम और नवम भाव को पूर्ण दृष्टि से देखते हैं। इन तीनों दृष्टियों में पंचम और नवम दृष्टि विशेष शुभ होती है। बृहस्पति की दृष्टि, गंगाजल की तरह पवित्र होती है। यह जिस भाव और जिस ग्रह पर पड़ती है, उसे शुभ कर देती है। यहां तक अशुभ योग भी इनकी दृष्टि से निष्फल हो जाते हैं, लेकिन मकर राशि…
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