जानिए गुरु एवं शनि और उसकी दृष्टि को

(पं रमेश पांडेय)

बृहस्पति के पास तीन दृष्टियां होती हैं।इनके पास पंचम, सप्तम और नवम दृष्टि होती है, यानी कि गुरु जिस भाव में बैठते हैं उस भाव से पंचम, सप्तम और नवम भाव को पूर्ण दृष्टि से देखते हैं।

इन तीनों दृष्टियों में पंचम और नवम दृष्टि विशेष शुभ होती है।

बृहस्पति की दृष्टि, गंगाजल की तरह पवित्र होती है। यह जिस भाव और जिस ग्रह पर पड़ती है, उसे शुभ कर देती है। यहां तक अशुभ योग भी इनकी दृष्टि से निष्फल हो जाते हैं, लेकिन मकर राशि में स्थित बृहस्पति शुभ दृष्टि नहीं देता है।

प्रथम भाव पर गुरु की पूर्ण दृष्टि हो तो ऐसा जातक धर्मात्मा, कीर्तिवान, कुलीन और विद्वान होते हैं।ऐसे जातकों की पत्नी पतिव्रता एवं शुभ आचरण करने वाली होती हैं।

द्वतीय भाव पर गुरु की पूर्ण दृष्टि हो तो व्यक्ति पिताजी के द्वारा कमाए गए धन को बर्बाद करने वाला होता है। तत्पश्चात स्वयं धन अर्जित करता है।ऐसे जातक कुटुम्बियों तथा मित्र वर्ग में श्रेष्ठ होता है।और राजमान्य भी होता है।

तृतीय भाव पर गुरु की पूर्ण दृष्टि हो तो ऐसे व्यक्ति भाग्यवान होते हैं। पराक्रमी भी बहुत होते हैं। ऐसे जातकों को भाई बहनों का पर्याप्त सुख प्राप्त होता है। ऐसे व्यक्ति प्रवासी होते हैं, मगर इनका प्रवास धर्मार्थ अर्थात धर्म क्षेत्रों की ओर ज्यादा रहता है।

चतुर्थ भाव पर गुरु की पूर्ण दृष्टि हो तो व्यक्ति श्रेष्ठ विद्यावान होता है। ऐसे व्यक्ति भूमि पति और वाहन आदि से सुख युक्त होते हैं।ऐसे जातकों को माता-पिता का पूर्ण सुख तथा सहयोग प्राप्त होता है।

पंचम भाव पर गुरु की पूर्ण दृष्टि हो तो व्यक्ति धनिक, एश्वर्यवान और विद्वान होता है। ऐसे व्यक्ति किसी भी विषय की व्याख्या करने में बहुत कुशल होते हैं। ऐसे व्यक्तियों के पुत्र ज्यादा होते हैं, और ये व्यक्ति कला कौशल में भी बहुत निपुण होते हैं।

छठे भाव पर गुरु की पूर्ण दृष्टि हो तो ऐसे जातक अधिकतर व्याधि ग्रस्त रहते हैं। इनके माध्यम से धन भी बहुत नष्ट होता है। ऐसे व्यक्ति क्रोधी स्वभाव के होते हैं।कभी-कभी ऐसे व्यक्तियों के मन में कपट भाव भी बहुत रहता है।

सप्तम भाव पर गुरु की पूर्ण दृष्टि हो तो व्यक्ति देखने में सुंदर, धनवान और कीर्तिमान होता है।ऐसे व्यक्ति बहुत ही भाग्यशाली होते हैं। इनके मित्र बुद्धिमान होते हैं, और यह बुद्धिमान व्यक्तियों से ही मित्रता करना पसंद करते हैं।

अष्टम भाव पर गुरु की पूर्ण दृष्टि हो तो ऐसे व्यक्तियों को राजभय रहता है। ऐसे व्यक्ति हर समय चिंतित दिखाई देते हैं। ऐसे व्यक्तियों को 8 वर्ष की अवस्था में मृत्यु तुल्य कष्ट होता है, और 26 वर्ष की आयु में कारागार जन्य कष्ट पाने का भी योग बनता है।

*नवम भाव पर गुरु की पूर्ण दृष्टि हो तो व्यक्ति कुलीन और बहुत ही भाग्यवान होते हैं।ऐसे व्यक्ति शास्त्रज्ञ और बड़े ही धर्मात्मा होते हैं।ऐसे व्यक्ति स्वतंत्र रहना ज्यादा पसंद करते हैं। संतान का सुख भोगते हैं, धनी होते हैं और व्रत उपवास करने वाले होते हैं।

दशम भाव पर गुरु की पूर्ण दृष्टि हो तो व्यक्ति राजमान्य सुखी और धन पुत्र आदि से युक्त होता है। ऐसे व्यक्ति भूमि वाहन आदि से संपन्न होते हैं, और यह ऐश्वर्यवान भी होते हैं।

ग्यारहवें भाव पर गुरु की पूर्ण दृष्टि हो तो व्यक्ति बहुत बुद्धिमान होता है।इनके बहुत से पुत्र होते हैं। ऐसे व्यक्ति बहुत ही विद्वान और कला कौशल के चाहने वाले होते हैं।ये बहुत ही स्नेही होते हैं, और इनकी आयु लंबी रहती है।

बारहवें भाव पर गुरु की पूर्ण दृष्टि हो तो यह रजोगुण प्रधान होते हैं। दुखी होते हैं धन खर्च करने में इनका हाथ बिल्कुल ही खुला हुआ होता है।कुछ अनुभव में आया है कि बहुत से लोगों में बुद्धि की भी विशेष कमी पाई गई है।
जानिए अपने शनि को, और उसके परिणाम?

शनि आपके कर्मों का हिसाब रखने वाला ग्रह। लोग शनि से डरते हैं, कोसते हैं, पर सच कहें तो शनि बस वही कराता है जो आपने बोया होता है।

आइए जानते हैं पंडित रमेश पाण्डेय जी से कि आपके जन्म कुंडली में किस भाव में शनि की उपस्थिति क्या करवाएगा आपसे।

प्रथम भाव शनि

शनि जब मैं लग्न में बैठता है, तो बचपन बड़ा अच्छा रहता है व्यक्ति हँसता मुस्कुराता है लेकिन शेष जीवन व्यक्ति गंभीर, धैर्यवान और मेहनती बनता है। बस थोड़ी देर से सफलता मिलती है, और हाँ, चेहरा ज़रा गंभीर-गंभीर सा लगता है, जैसे कोई गुप्तचरी मिशन पर हो! लोग कहेंगे, “अरे यार, हंस भी लिया कर! पहले तेरी शकल् अच्छी थी हँसता तो था तू क्या सड़ी शक्ल् बना रखी है” पर शनि अपनी गंभीरता से अपने विचारों से उन्हें भी मजबूर कर देता है कि गहरी सोच में उलझे रहें।

उपाय? शनिवार को काले तिल का दान कर दो, चेहरे पर हल्की मुस्कान भी आ जाएगी। और हाँ बचपन की फोटो बटुए मे रखो।

द्वितीय भाव शनि

दूसरे भाव में बैठा शनि शर्मीला बनाता है कोई जब आपसे गाने को कहता है तो लगता है “किडनी ही मांग ली इसने”! शनि जब यहां बैठता है तो, व्यक्ति के बोलने के अंदाज़ को ठंडा कर देता है। या तो ये कम बोलेंगे, या ऐसा बोलेंगे कि सुनने वाले सोचेंगे, “यार, सीधे-सीधे नहीं कह सकता? ना ही बोले तो अच्छा” कभी-कभी बचपन में गरीबी का भी स्वाद चखना पड़ता है।

*उपाय? शनिवार को उड़द दाल खाओ खिलाओ बांटो, वाणी में मिठास आ जाएगी।*

तृतीय भाव में शनि

तीसरे भाव में बैठा शनि व्यक्ति को मेहनती और दृढ़ बना देता है। पर जब तक वो हिम्मत जुटाए, तब तक आधी ज़िन्दगी निकल चुकी होती है! छोटे भाई-बहनों से मतभेद रह सकते हैं, लेकिन मेहनत से सब ठीक हो जाता है।”बहुत संघर्ष होता है रे बाबा”

उपाय? काली गाय को रोटी खिलाओ उसकी सेवा करो भाई-बहन खुद कॉल कर लेंगे। समाज मे पहचान बनेगी!

चतुर्थ भाव में शनि–

जब शनि चतुर्थ भाव में बैठा होता है तो माँ का प्यार देर से मिलेगा! घर-परिवार की स्थिति थोड़ी कठिन हो जाती है। माता से दूर रहने के योग बन सकते हैं। लोग कहेंगे, “यार, बचपन अच्छा नहीं था?” जवाब होगा, “थोड़ा स्ट्रगल था, लेकिन मज़ा भी आया!” घर खुद से न बनवाओ तो अच्छा 42 वर्ष के बाद शनि स्वयं ही गिफ्ट कर देगा।

उपाय? शनिवार को मिस्त्री के काम आने वाले लोहे का कोई सामान दान कर दो, घर में सुकून रहेगा। घर जल्दी बनेगा

पंचम भाव में शनि

पांचवें भाव में बैठा शनि व्यक्ति को बुद्धिमान तो बनाता है , लेकिन प्रेम-प्रसंगों में अड़चनें देता है। रोमांस में ठंडक और बच्चों की चिंता बनी रहती है।

उपाय? शनिवार को काले कपड़े पहनकर हनुमान जी का दर्शन कर लो 50 वर्ष से उपर के मजदूर को जूते गिफ्ट करो पर उसके पसंद के, सब पटरी पर आ जाएगा।

षष्ठम भाव में शनि–

छठवें भाव में बैठकर शनि तुम्हारे बैंक और तुम्हारे काम पर नजर रखता है तुमने बेईमानी की या कर्ज लिया तो बाबू पछताओगे यहाँ शनि की कृपा से व्यक्ति शत्रुओं पर भारी पड़ता है। बीमारियों से बचाव मिलता है, लेकिन छोटी-मोटी हेल्थ प्रॉब्लम बनी रहती है।

उपाय? शनिवार को सरसों का तेल दान करो, शरीर फिट रहेगा। कर्ज मत लो शेखचिल्ली न बनो

सप्तम भाव में शनि–

सातवें भाव में बैठा शनि वैवाहिक जीवन को, थोड़ा ठंडा कर देता है! विवाह मे थोड़ी देर भी हो जाती है। विवाह नहीं हो रहा इस बात से परेशान हो गये तो परेशान रहिए। यहाँ पर बैठा शनि व्यक्ति की वैवाहिक जीवन में सीरियसनेस बढ़ा देता है। पार्टनर शिकायत करेगा, “तुम रोमांटिक क्यों नहीं हो?” जवाब मिलेगा, “क्या जरूरी है पैसा या प्यार?”

उपाय? शनिवार को पत्नी को नीला कपड़ा गिफ्ट दो, रिश्ते में गर्माहट आ जाएगी गरीबों को काले चने और चाय बांटो पार्टनर साथ नहीं छोड़ना।

अष्टम भाव में शनि–

आठवें भाव में बैठा शनि व्यक्ति को बात छुपाने की असीम शक्ति देता है ।यहाँ शनि व्यक्ति को गहरी सोच और रहस्यमय प्रवृत्ति देता है। ये लोग गुप्त विज्ञान, रिसर्च और गहरी बातों के जानकार होते हैं। यहाँ जो लोग शनि की तीसरी दृष्टि से डरते हैं बुरा कहते है उनको बता दूँ की यहाँ से शनि सरकारी नौकरी या स्थाई नौकरी का कारण बनता है।
*उपाय? शनिवार को पीपल के पेड़ पर जल चढ़ाओ, जीवन सरल रहेगा ।

नवम भाव में शनि–

नवम भाव में शनि के बैठने के कारण व्यक्ति का भाग्य देर से खुलता है। लोग सोचेंगे, “यार, ये तो बहुत मेहनत करता है, पर फल कब मिलेगा?” जवाब होगा, “धैर्य रखो!” संघर्ष है पर सफलता भी है देर से ही सही और हाँ अपनी प्रशंशा खुद करो दूसरे तो सिर्फ दिल तोड़ने आयेंगे ।

*उपाय? शनिवार को गरीबों को खाना खिलाओ, भाग्य चमक जाएगा।*

दशम भाव में शनि–

यहाँ पर बैठा शनि व्यक्ति को संघर्ष देता है, लेकिन धीरे-धीरे ऊँचाइयों पर पहुँचा देता है। बॉस कहेगा, “तुम बहुत अच्छे कर्मचारी हो,” मालिक के सबसे करीब पर प्रमोशन देर से मिलेगा! नौकरी लंबे समय तक चलती और कई बार बदलती है दो नौकरी के बीच लंबा गैप रहता है!

उपाय? शनिवार को सरसों का तेल पैरों में लगाओ, सफलता तेजी से आएगी।

एकादश भाव में शनि–

यहाँ पर बैठा शनि व्यक्ति को अच्छा लाभ देता है , लेकिन धीरे-धीरे। जैसे बैंक में एफडी कराई हो और मैच्योरिटी पर अच्छा पैसा मिले!

*उपाय? शनिवार को लोहे की कील ज़मीन में गाड़ दो, फायदा जल्दी होगा।

द्वादश भाव में शनि–

यहाँ पर बैठा शनि व्यक्ति को विदेश यात्रा कराता है, लेकिन अंदर से अकेला महसूस कराता है। ध्यान और आध्यात्म से जुड़ने की प्रेरणा देता है।*
*उपाय? शनिवार को काले कुत्ते को रोटी खिलाओ, अकेलापन दूर होगा।
*तो, कुल मिलाकर…शनि कर्मों का न्यायाधीश है! डरने की आवश्यकता नहीं, बस अपने कर्म अच्छे रखो,

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